11/25/2013

वर्कर का लाइफ इनश्योंरंस

अभी अभी मेरे पास बिरला लाइफ इनश्योंरंस कम्पनी से एक मैडम का फोन आया.

"सर, मैं बिरला लाइफ इनश्योंरंस कम्पनी से बोल रही हूँ. आप क्या मिस्टर महेंद्र बोल रहे हो?"


"जी," मैंने कहा.

"
सर, मेरे फोन करने का मकसद है कि आपको लाइफ इनश्योंरंस की बेहतर सुविधाएँ मिल सकें."

"
अच्छा."

"
जी, सर क्या मैं जान सकती हूँ कि आप किस कम्पनी में काम करते हो?"

मैंने कहा, "मैडम, मैं तो एक छोटी सी प्राइवेट कम्पनी में काम करता हूँ."

"
सर, आपकी डेजिग्नेशन क्या है?"

"
क्या, रेजिग्नेशन?" मुझे कुछ ऐसा ही सुनाई पड़ा.

"
नहीं सर, डेजिग्नेशन. मतलब आपकी पोस्ट क्या है? मेनेजर, अकाउंटेंट, बिज़नेस, आदि."

मैंने कहा, "मैडम, मैं तो एक वर्कर हूँ."

"
अच्छा, आप वर्कर हैं. ओके. थैंक यू." और इतना कहकर मैडम जी ने फोन काट दिया.

मैं सोचता रहा कि इस देश में वर्कर को लाइफ इनश्योंरंस का अधिकार नहीं है क्या...

11/23/2013

बच्चे

बच्चे
होते हैं मन के सच्चे
कभी उदास नहीं होते
चिंताओं से दूर
कोशों दुर
वहीँ बड़ों के मुख पर चिंताओं की
गहरी लकीरें खिचीं होती हैं
मानो दुनिया का सारा बोझ
इन्ही के कन्धों पर हो

मुझे पता नहीं
बच्चे इतने उन्मुक्त कैसे होते हैं
बड़े इतने चिन्तायुक्त क्यों होते हैं।

11/09/2013

तू ही राम है, तू रहीम है

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।

तेरी जात पात कुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में ,
गुरु ग्रन्थ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा ।
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।

अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आव्हन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा ।

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू येसु मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा ।

गरज बरस प्यासी धरती पर

गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने, बच्चों को गुड़धानी दे मौला

दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है
सोच समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला

फिर रोशन कर जा जेहर का प्याला चमका नई सलीबें
झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला

फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा
फिर मंदिर को कोई मीरा दिवानी दे मौला

तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हो 
जीनेवालों को मरने की आसानी दे मौला

ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना

ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना
ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना

बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे
ढूँढेंगे तुझे गली-गली सब ये ग़म के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
ओ जानेवाले...

है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए
परदेस की गरदिश में कहीं तू भी खो ना जाए
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना
ओ जानेवाले...

दे दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
फिर जाए जो उस पार कभी लौट के न आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना

ओ जानेवाले..