11/09/2013

ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना

ओ जानेवाले हो सके तो लौट के आना
ये घाट तू ये बाट कहीं भूल न जाना

बचपन के तेरे मीत तेरे संग के सहारे
ढूँढेंगे तुझे गली-गली सब ये ग़म के मारे
पूछेगी हर निगाह कल तेरा ठिकाना
ओ जानेवाले...

है तेरा वहाँ कौन सभी लोग हैं पराए
परदेस की गरदिश में कहीं तू भी खो ना जाए
काँटों भरी डगर है तू दामन बचाना
ओ जानेवाले...

दे दे के ये आवाज़ कोई हर घड़ी बुलाए
फिर जाए जो उस पार कभी लौट के न आए
है भेद ये कैसा कोई कुछ तो बताना

ओ जानेवाले..

No comments: